Santosh Trophy : संतोष ट्रॉफी भारत में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली एक प्रमुख फुटबॉल प्रतियोगिता है। इसका आयोजन ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) द्वारा किया जाता है। यह प्रतियोगिता विशेष रूप से भारतीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की फुटबॉल टीमों के लिए आयोजित की जाती है।

संतोष ट्रॉफी का इतिहास
- शुरुआत: संतोष ट्रॉफी की स्थापना वर्ष 1941 में हुई थी। इसका नाम IFA (इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन) के तत्कालीन अध्यक्ष, सर मनीमंथन संतोष, के नाम पर रखा गया था।
- पहला टूर्नामेंट: पहला संतोष ट्रॉफी टूर्नामेंट 1941 में हुआ था, जिसमें वेस्टर्न इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन (WIFA) विजेता बनी थी।
- महत्व: संतोष ट्रॉफी लंबे समय तक भारत में फुटबॉल के सबसे बड़े टूर्नामेंट के रूप में देखी जाती थी। हालाँकि, इंडियन सुपर लीग (ISL) और आई-लीग के आने के बाद इसका महत्व कम हो गया, लेकिन यह अभी भी राज्य और स्थानीय स्तर पर खिलाड़ियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मंच है।
प्रतियोगिता का प्रारूप
- इस प्रतियोगिता में भारत के विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की टीमें हिस्सा लेती हैं।
- शुरुआत में ग्रुप स्टेज का आयोजन होता है, जिसमें टीमें विभिन्न समूहों में विभाजित होती हैं।
- इसके बाद नॉकआउट चरण (क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल, और फाइनल) होता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- टैलेंट हंट का मंच: संतोष ट्रॉफी भारतीय फुटबॉल के लिए एक ऐसा मंच है जहाँ से राष्ट्रीय स्तर के कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभरकर सामने आए हैं।
- प्रमुख टीमें: पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब और गोवा जैसी टीमों का इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन रहा है।
- रिकॉर्ड: पश्चिम बंगाल ने सबसे अधिक बार (32 बार) इस ट्रॉफी को जीता है।
प्रसिद्ध खिलाड़ी
संतोष ट्रॉफी ने भारत को कई दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी दिए हैं, जैसे:
- बाइचुंग भूटिया
- आई.एम. विजयन
- सुनील छेत्री (हालाँकि वह मुख्य रूप से अन्य प्रतियोगिताओं से प्रसिद्ध हुए)
वर्तमान स्थिति
आज के समय में, संतोष ट्रॉफी का महत्व कम हुआ है, लेकिन यह अभी भी छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। AIFF और विभिन्न राज्य फुटबॉल संघ इस टूर्नामेंट को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
संतोष ट्रॉफी भारतीय फुटबॉल की एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है। यह न केवल राज्य स्तर की टीमों को प्रतिस्पर्धा का मौका देती है, बल्कि देशभर में फुटबॉल के प्रचार-प्रसार में भी योगदान देती है।
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