हड़प्पा और वैदिक युग में झारखंड का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, हालांकि इस समय के बारे में जानकारी मुख्य रूप से पुरातात्विक और ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित है। झारखंड के इस योगदान को समझने के लिए दोनों युगों में राज्य की भूमिका पर ध्यान देना जरूरी है।
हड़प्पा युग में झारखंड का योगदान
हड़प्पा सभ्यता (जो सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है) लगभग 3300 BCE से 1300 BCE के बीच फली-फूली थी। हड़प्पा सभ्यता मुख्य रूप से पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में फैली थी, लेकिन इसके प्रभाव झारखंड के कुछ हिस्सों में भी देखने को मिलते हैं।
- खनिज संसाधन: झारखंड के क्षेत्र में खनिज (जैसे तांबा, लोहा, और अन्य धातुएं) प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हड़प्पा सभ्यता के लिए महत्त्वपूर्ण थे। यह धातु उद्योग के विकास में सहायक हो सकते थे।
- वस्तु विनिमय: झारखंड का भूगोल हड़प्पा सभ्यता के व्यापार मार्गों से जुड़ा हुआ था। यहां के खनिजों और कच्चे माल का व्यापार अन्य सभ्यताओं के साथ संभव था।
- पुरातात्विक साक्ष्य: झारखंड के कुछ स्थानों पर हड़प्पा सभ्यता के समान सभ्यता के प्रमाण मिले हैं, जैसे कि बर्तन, मूर्तियाँ, और अन्य वस्तुएं, जो यह दर्शाती हैं कि इस क्षेत्र में भी हड़प्पा सभ्यता का प्रभाव था।
वैदिक युग में झारखंड का योगदान
वैदिक युग (1500 BCE – 500 BCE) के दौरान झारखंड एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था, जिसे वेदों में भी उल्लेखित किया गया है। इस समय में झारखंड के लोगों ने विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान दिए।
- आदिवासी सभ्यता: झारखंड में आदिवासी संस्कृति का विकास हुआ, जो वैदिक सभ्यता से अलग थी, लेकिन इसके कई पहलू वेदों और संस्कृत साहित्य से जुड़े थे। यहां के आदिवासी समाजों की जीवनशैली, धर्म और परंपराओं का उल्लेख वेदों में किया गया है।
- धार्मिक योगदान: वैदिक युग में यहां के लोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों में शामिल होते थे। झारखंड में स्थित पहाड़ी और जंगलों को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता था, और यहां के लोग प्रकृति पूजा में विश्वास करते थे।
- भाषा और साहित्य: झारखंड के लोग संस्कृत के साथ-साथ अपनी आदिवासी भाषाओं का प्रयोग करते थे, जो बाद में भारतीय साहित्य और संस्कृति का हिस्सा बने।
हड़प्पा और वैदिक युग में झारखंड का योगदान मुख्य रूप से खनिज संसाधनों, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं के माध्यम से था। यह क्षेत्र न केवल भारत की प्राचीन सभ्यताओं का हिस्सा था, बल्कि इसके प्राकृतिक संसाधन और सांस्कृतिक धरोहर ने भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन सभ्यताओं को समृद्ध किया।