झारखंड में पाषाण युग और प्रारंभिक मानव सभ्यता के कई महत्वपूर्ण अवशेष पाए गए हैं। यह राज्य पुरातत्व और मानव विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पाषाण युग, ताम्र युग और ऐतिहासिक काल के अवशेष मिलते हैं।
- पाषाण युग (Stone Age) के अवशेष:
- हथियागढ़ (Hathigad) और उरांव (Uranw) क्षेत्र: झारखंड में पाषाण युग के अवशेष विशेष रूप से हाथियागढ़ और उरांव इलाकों में पाए गए हैं। यहां पर प्राचीन काल के पत्थर के औजार, हथियार और अन्य उपयोगी वस्तुएं मिली हैं जो यह दर्शाती हैं कि यहां के लोग शिकार और गृहस्थी के कामों में पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे।
- कुल्हा और बड़िया: ये स्थान पाषाण युग के स्थलों में शामिल हैं, जहां पर प्राचीन मानव सभ्यता के दौरान उपयोग किए जाने वाले औजारों और अन्य वस्तुओं के अवशेष पाए गए हैं।
- कला और चित्रकला:
- झारखंड के गुमला, चतरा, और लोहरदगा जिलों में गुफाओं और चट्टानों पर प्राचीन चित्रकला के अवशेष पाए गए हैं। इन चित्रों में शिकार, पशु और मानव रूपों को चित्रित किया गया है, जो इस क्षेत्र में प्राचीन मानव सभ्यता के विकास को दर्शाते हैं।
- आधुनिक समय के शोध:
- झारखंड में हाल के वर्षों में पुरातात्विक अध्ययन और खुदाई से यह पता चला है कि यहां प्राचीन काल में मानव सभ्यता का विकास हुआ था। इन अवशेषों से यह भी संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में विभिन्न संस्कृतियों का प्रभाव था और यहाँ के लोग कृषि, शिकार और कारीगरी में माहिर थे।
- महत्वपूर्ण स्थल:
- काठीकुंड (Kathikund) और रांची क्षेत्र: इन स्थानों पर पाषाण युग के औजार और अन्य अवशेष मिले हैं। इनसे यह भी संकेत मिलता है कि झारखंड के लोग प्राचीन समय में कृषि और पशुपालन के काम में लगे थे।
इन अवशेषों से यह स्पष्ट होता है कि झारखंड में पाषाण युग के दौरान मानव सभ्यता का विकास हुआ था और विभिन्न प्रकार के औजारों, कला, और जीवन शैली के अवशेष इसकी पुष्टि करते हैं।