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ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध को लेकर भारत की चिंता, चीन ने दी सफाई

Last updated: January 5, 2025 9:13 am
By The IndiaFirst Published January 5, 2025
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चीन द्वारा तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग त्सांगपो) पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डैम के निर्माण की योजना को लेकर भारत ने गंभीर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस परियोजना से भारत के निचले इलाकों में जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है। भारत के ऐतराज पर चीन ने सफाई देते हुए दावा किया है कि यह परियोजना पूरी तरह से सुरक्षित है और इसका उद्देश्य केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करना है।

india vs china

भारत की चिंताएं

ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है, तिब्बत से बहकर भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम होते हुए बांग्लादेश तक जाती है। चीन इस नदी के निचले हिस्से, अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास, एक विशालकाय बांध बना रहा है।
इस बांध में भारी मात्रा में पानी संग्रहित किया जा सकता है, जिससे नदी के जलप्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता चीन के पास होगी। भारत को आशंका है कि यदि चीन कम पानी छोड़ेगा तो सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जबकि अधिक पानी छोड़ने से बाढ़ का खतरा रहेगा।

चीन का पक्ष

चीन ने आश्वासन दिया है कि यह परियोजना दशकों के गहन अध्ययन के बाद शुरू की गई है। उसने दावा किया कि इस बांध से किसी भी देश को कोई नुकसान नहीं होगा। चीन ने कहा कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य साफ ऊर्जा का उत्पादन करना और निचले क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

China has always been responsible for the development of cross-border rivers. China's hydropower development in the lower reaches of the Yarlung Zangbo River aims to speed up developing clean energy, and respond to climate change and extreme hydrological disasters. The hydropower… pic.twitter.com/46sp86Jw8m

— Yu Jing (@ChinaSpox_India) January 4, 2025

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने चीन से इस मुद्दे पर पारदर्शिता और सहयोग की अपील की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभाव, जलवायु परिवर्तन और निचले क्षेत्रों में जल संकट पर चिंता जाहिर की है।

क्या हो सकता है समाधान?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन को इस मुद्दे पर पारदर्शी संवाद और सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के प्रबंधन को लेकर ठोस समझौता किया जाना चाहिए, ताकि किसी भी क्षेत्र में जल संकट या पर्यावरणीय असंतुलन को रोका जा सके।

भारत इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी बात रखने की तैयारी कर सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी जैसे प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन केवल स्थानीय नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व का विषय है।

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