बेतला राष्ट्रीय उद्यान झारखंड राज्य के पलामू जिले में स्थित है और यह राज्य का पहला राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1974 में की गई थी, और यह क्षेत्र लगभग 1,026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह उद्यान पलामू के पठारी इलाके में बसा हुआ है, जहां पहाड़ियाँ, घने जंगल, नदियाँ और जलप्रपात इसका प्रमुख आकर्षण हैं। बेतला राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्य है, जो प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
यह उद्यान वन्यजीवों की विविध प्रजातियों का घर है, जिनमें बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू, सांभर, चीतल और नीलगाय शामिल हैं। बेतला का वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र बाघों के लिए महत्वपूर्ण है, और यहां बाघों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, यह क्षेत्र पक्षियों, सरीसृपों और अन्य जानवरों की विभिन्न प्रजातियों का भी घर है। यहां की वनस्पति में मुख्य रूप से सागौन, सल, बांस और अन्य उष्णकटिबंधीय वृक्ष पाए जाते हैं।
पर्यटन की दृष्टि से भी बेतला राष्ट्रीय उद्यान बहुत आकर्षक है। यहाँ पर्यटक जंगल सफारी का अनुभव ले सकते हैं, जहाँ उन्हें विभिन्न वन्यजीवों को प्राकृतिक वातावरण में देखने का मौका मिलता है। इसके अलावा, यहां ट्रैकिंग और बर्ड वाचिंग के लिए भी अच्छे मार्ग हैं। बेतला में पर्यटकों के लिए रिसोर्ट और विश्राम स्थल भी उपलब्ध हैं, जो एक आरामदायक अनुभव प्रदान करते हैं।
उद्यान में स्थित जलप्रपात और नदियाँ पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराती हैं। बेतला का प्रमुख आकर्षण “लाते हार” जलप्रपात है, जो अपने खूबसूरत दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। यह जलप्रपात पर्यटकों के लिए एक प्रमुख स्थल है, जहाँ वे प्रकृति के बीच समय बिता सकते हैं। इसके अलावा, बेतला में एक जूलॉजिकल पार्क और वन्यजीव अनुसंधान केंद्र भी है, जो वन्यजीव संरक्षण और शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
बेतला राष्ट्रीय उद्यान का पर्यावरणीय महत्व भी बहुत अधिक है, क्योंकि यह क्षेत्र न केवल वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए जलवायु और जल स्रोतों को बनाए रखने में भी मदद करता है। यह उद्यान जैव विविधता के संरक्षण के लिए एक आदर्श स्थल है और भारत में जंगलों और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।