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अब स्पेस में अंतरिक्ष यान बदल सकेगा इंसान: ISRO की ‘डॉकिंग’ तकनीक और इसका काम समझें

Last updated: December 31, 2024 4:15 pm
By The IndiaFirst Published December 31, 2024
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'Docking' Technique

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में ‘डॉकिंग’ तकनीक पर काम शुरू किया है, जो अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ने और अलग करने की प्रक्रिया को संभव बनाती है। इस तकनीक के माध्यम से, अंतरिक्ष यात्री स्पेस में एक यान से दूसरे यान में आसानी से जा सकते हैं।

डॉकिंग तकनीक क्या है?

डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो अलग-अलग अंतरिक्ष यानों को एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। यह तकनीक खासतौर पर उन मिशनों में उपयोगी होती है जहां:

  1. अंतरिक्ष यात्री को एक यान से दूसरे यान में जाना होता है।
  2. ईंधन, उपकरण, या अन्य जरूरी सामान को एक यान से दूसरे यान में ट्रांसफर करना होता है।
  3. किसी खराब यान को ठीक करने या उसे बदलने की आवश्यकता होती है।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

  1. ऑटोनोमस नेविगेशन: डॉकिंग प्रक्रिया में यान खुद को स्वायत्त (autonomous) तरीके से दिशा निर्धारित करता है।
  2. प्रिसिजन कंट्रोल: दोनों यानों के बीच दूरी को सटीकता से मापा जाता है, और दोनों की गति और दिशा को सिंक्रोनाइज़ किया जाता है।
  3. डॉकिंग पोर्ट: दोनों यानों पर विशेष डॉकिंग पोर्ट लगाए जाते हैं, जो आपस में जुड़ने के बाद एक सील बनाते हैं ताकि हवा का रिसाव न हो।

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ISRO का योगदान

ISRO ने हाल ही में एक ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (SPADEX) की घोषणा की है। इसके तहत भारत भविष्य में मानव मिशनों में डॉकिंग तकनीक का उपयोग करेगा। यह तकनीक भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

डॉकिंग तकनीक के लाभ

  1. लंबे अंतरिक्ष मिशन संभव: डॉकिंग से अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने वाले मिशन को सपोर्ट किया जा सकता है।
  2. सुरक्षा बढ़ती है: अगर एक यान में कोई समस्या हो, तो अंतरिक्ष यात्री दूसरे यान में जा सकते हैं।
  3. फ्लेक्सिबिलिटी: अंतरिक्ष स्टेशन में सामान, उपकरण और ईंधन की सप्लाई अधिक आसान हो जाती है।

कैसे बदल सकता है भविष्य?

डॉकिंग तकनीक मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में क्रांति ला सकती है। यह न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाएगी, बल्कि चंद्रमा, मंगल और अन्य ग्रहों पर मानव मिशनों की तैयारी के लिए भी मददगार होगी।

ISRO की इस नई पहल से भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर और अधिक मजबूत होगा।

भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तैयार

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