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H 1B Visa : भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अहम मुद्दा

Last updated: December 31, 2024 4:42 pm
By The IndiaFirst Published December 31, 2024
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अमेरिका में एच-1बी वीजा कार्यक्रम को लेकर हाल ही में एक नई बहस छिड़ी हुई है। रिपब्लिकन पार्टी के अंदर ही इसे लेकर मतभेद हैं। अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ‘शानदार कार्यक्रम’ कहा है, हालांकि उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति के समर्थक इससे असहमत नजर आते हैं। इस बहस के केंद्र में भारतीय पेशेवर और तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां हैं, जो इस वीजा के जरिए अमेरिका में काम करती हैं।

एच-1बी वीजा क्या है?

एच-1बी वीजा एक अस्थायी वीजा है, जिसे अमेरिका उन विदेशी पेशेवरों को जारी करता है, जो विशेष व्यवसायों में काम करने के लिए वहां जाना चाहते हैं। इसमें आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, अनुसंधान और अन्य तकनीकी क्षेत्रों के उच्च कौशल वाले पेशेवर शामिल होते हैं।

H1B VISA
  1. अवधि: वीजा आमतौर पर तीन साल के लिए होता है, जिसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है।
  2. संख्या सीमा: हर साल 65,000 वीजा जारी किए जाते हैं, इसके अलावा 20,000 वीजा उन लोगों के लिए होते हैं जिन्होंने अमेरिका में मास्टर डिग्री प्राप्त की हो।
  3. ग्रीन कार्ड का रास्ता: यह वीजा ग्रीन कार्ड और स्थायी निवास की प्रक्रिया का पहला कदम भी हो सकता है।

भारतीयों पर प्रभाव

भारतीय पेशेवर एच-1बी वीजा धारकों में सबसे बड़ी संख्या में हैं। इस वीजा पर किसी भी प्रकार की सख्ती या बदलाव का भारतीय पेशेवरों और कंपनियों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।

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  1. आर्थिक प्रभाव:
    भारतीय आईटी कंपनियां और पेशेवर इस वीजा पर काफी निर्भर हैं। वीजा प्रक्रिया में सख्ती होने पर कंपनियों को नए रणनीतिक बदलाव करने होंगे, जिससे उनकी लागत बढ़ सकती है और राजस्व प्रभावित हो सकता है।
  2. कॉम्पिटिटिवनेस:
    एच-1बी वीजा भारतीय पेशेवरों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव और नई तकनीकों तक पहुंच प्रदान करता है। यह अनुभव भारत के तकनीकी उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद करता है।
  3. आव्रजन नीति:
    यदि वीजा की संख्या सीमित की जाती है, तो यह भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने के अवसरों को कम कर सकता है।

अमेरिका में योगदान

एच-1बी वीजा धारक अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  1. औसत वेतन: 2021 में एच-1बी कर्मचारियों का औसत वेतन $108,000 था, जबकि अमेरिकी औसत वेतन $45,760 था।
  2. महामारी में योगदान: कोविड-19 वैक्सीन के विकास और अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी प्रोजेक्ट्स में एच-1बी पेशेवरों ने अहम भूमिका निभाई।

वीजा प्रक्रिया के प्रमुख बिंदु

  1. विशेष योग्यता: आवेदक के पास संबंधित क्षेत्र में स्नातक डिग्री होनी चाहिए।
  2. एम्प्लॉयर स्पॉन्सरशिप: वीजा के लिए एक अमेरिकी नियोक्ता द्वारा स्पॉन्सरशिप अनिवार्य होती है।
  3. लेबर सर्टिफिकेशन: नियोक्ता को यह प्रमाण देना होता है कि विदेशी कर्मचारी को अमेरिकी मानकों के अनुसार वेतन दिया जा रहा है।

भविष्य के संकेत

एच-1बी वीजा कार्यक्रम को लेकर चल रही बहस में विवेक रामास्वामी, निक्की हेली और एलन मस्क जैसे प्रमुख लोग शामिल हो चुके हैं। यह कार्यक्रम भारतीय आईटी क्षेत्र और अमेरिकी तकनीकी उद्योग के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। हालांकि, इस पर आने वाले किसी भी बदलाव का दीर्घकालिक प्रभाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

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