जूलियन कैलेंडर एक पुराना कैलेंडर प्रणाली है, जिसे 45 ईसा पूर्व में रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने पेश किया था। यह कैलेंडर उस समय के रोमन कैलेंडर का उन्नत संस्करण था और इसमें साल को 365 दिन और हर चौथे साल को 366 दिन का माना गया था। इस कैलेंडर का मुख्य उद्देश्य सौर वर्ष की अवधि के साथ समय का तालमेल बैठाना था। जूलियन कैलेंडर में हर साल में 12 महीने होते हैं, और महीनों की लंबाई को निम्नलिखित तालिका में दिखाया गया है:
महीना | दिनों की संख्या |
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जनवरी | 31 |
फरवरी | 28 (साधारण वर्ष) / 29 (लीप वर्ष) |
मार्च | 31 |
अप्रैल | 30 |
मई | 31 |
जून | 30 |
जुलाई | 31 |
अगस्त | 31 |
सितंबर | 30 |
अक्टूबर | 31 |
नवंबर | 30 |
दिसंबर | 31 |
जूलियन कैलेंडर में लीप वर्ष का नियम सरल था: हर वह वर्ष जो 4 से विभाज्य हो, उसे लीप वर्ष माना गया। हालांकि, इस कैलेंडर में 11 मिनट और 14 सेकंड की त्रुटि थी, जिससे यह सौर वर्ष के साथ धीरे-धीरे असंगत होता गया। इस समस्या को 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर के माध्यम से सुधार किया गया। जूलियन कैलेंडर अभी भी कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भों में उपयोग किया जाता है।