Maha Kumbh 2025 : मेला, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है, हर 12 साल में करोड़ों श्रद्धालुओं को एक जगह इकट्ठा करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी विशाल भीड़ की गिनती कैसे होती है? अगर नहीं तो चलिये जानतें हैं
तकनीक के सहारे गिनती
आज के युग में, महाकुंभ (Mahakumbh) जैसे बड़े आयोजनों में भीड़ की सटीक गिनती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जाता है। ड्रोन कैमरे, सैटेलाइट इमेजरी और सीसीटीवी कैमरे इस गिनती को आसान बनाते हैं। ड्रोन के जरिए पूरे क्षेत्र की निगरानी की जाती है और वीडियो फुटेज का विश्लेषण कर भीड़ की सही संख्या का आकलन किया जाता है।

एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर डिजिटल गिनती
महाकुंभ के हर प्रवेश और निकास बिंदु पर डिजिटल काउंटिंग डिवाइस लगाए जाते हैं। ये डिवाइस हर व्यक्ति की गिनती कर डेटा संग्रह करते हैं। इससे यह पता चलता है कि किस समय कितने लोग मेले में आए और कितने लोग वापस गए।
मोबाइल डेटा का उपयोग
मोबाइल नेटवर्क कंपनियां भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती हैं। किसी क्षेत्र में एक्टिव मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट उपयोग के आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि वहां कितने लोग मौजूद हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स की मदद से लाइव वीडियो फुटेज का विश्लेषण किया जाता है। AI यह तय करता है कि एक समय में कितने लोग उपस्थित हैं। यह तकनीक भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद करती है।
प्रशासन की भूमिका
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भीड़ प्रबंधन के लिए हर सेक्शन से रिपोर्ट इकट्ठा करते हैं। वॉलंटियर्स और सुरक्षा कर्मी सुनिश्चित करते हैं कि गिनती प्रक्रिया में किसी प्रकार की चूक न हो।
भविष्य की योजना में मदद
भीड़ का यह आंकड़ा केवल प्रशासन के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के कुंभ आयोजनों की बेहतर योजना बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे प्रबंधन को यह समझने में मदद मिलती है कि किस दिन कितनी भीड़ हो सकती है और किन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
महाकुंभ में करोड़ों लोगों की गिनती विज्ञान और तकनीक का अद्भुत उदाहरण है। यह दिखाता है कि जब आस्था और तकनीक साथ मिलते हैं, तो हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।
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