नेतरहाट स्कूल: झारखंड के खूबसूरत प्राकृतिक परिवेश में स्थित एक ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित स्कूल है, जिसे “दूसरा शांति निकेतन” भी कहा जाता है। यह स्कूल न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी अद्वितीय शिक्षण पद्धति और अनुशासन के लिए भी प्रसिद्ध है। चलिए, इस स्कूल के इतिहास, परंपरा, और विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
नेतरहाट स्कूल का इतिहास
नेतरहाट स्कूल की स्थापना 15 नवंबर 1954 को हुई थी। यह स्कूल झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है और अपने समय से ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। इसका उद्देश्य छात्रों को न केवल एक बेहतर शिक्षा देना है बल्कि उन्हें एक अनुशासित, आत्मनिर्भर, और जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना है।
नेतरहाट स्कूल की अनूठी शिक्षण पद्धति
इस स्कूल में शिक्षा का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम आधारित नहीं है। यहाँ छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान, जीवन कौशल, और नेतृत्व क्षमता विकसित करने पर जोर दिया जाता है। स्कूल में शिक्षकों और छात्रों के बीच एक मजबूत संबंध होता है, जिससे एक प्रेरक शिक्षण वातावरण बनता है।
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प्राकृतिक परिवेश और अनुशासन
नेतरहाट स्कूल चारों ओर से पहाड़ों और हरियाली से घिरा हुआ है, जो इसे अध्ययन के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करता है। यहाँ का वातावरण छात्रों को न केवल एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। स्कूल का अनुशासन और नियमितता छात्रों को भविष्य में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है।
नेतरहाट स्कूल के उपलब्धि
नेतरहाट स्कूल के छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। चाहे वह सिविल सेवा हो, विज्ञान हो, या कला, इस स्कूल के पूर्व छात्र हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ते हैं। यह स्कूल हर वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में शीर्ष स्थान पाने वाले छात्रों का गढ़ बन चुका है।