1. झारखंड की प्रमुख नदियां
झारखंड में कई प्रमुख नदियां बहती हैं जो राज्य की जीवनरेखा हैं।
- दामोदर नदी: इसे “झारखंड की शोक नदी” कहा जाता है। यह छोटा नागपुर के पठार से निकलती है और अपने साथ अपार जल और खनिज लेकर चलती है।
- स्वर्णरेखा नदी: इसका नाम इसके जल में स्वर्ण कणों की मौजूदगी के कारण पड़ा। यह झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बहती है।
- कोयल नदी: यह नदी राज्य के पश्चिमी भाग में बहती है और सुंदर प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करती है।
- बराकर नदी: यह नदी दामोदर की सहायक नदी है और झारखंड के कई हिस्सों में जल आपूर्ति करती है।
2. झरनों की अद्भुत श्रृंखला
झारखंड के झरने इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
- हिरणी जलप्रपात: रांची से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित यह झरना अपने शांत और हरे-भरे परिवेश के लिए प्रसिद्ध है।
- दशम जलप्रपात: यह झरना रांची से लगभग 40 किलोमीटर दूर है और यहां कचनी नदी का पानी गिरता है। यह स्थान पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए आदर्श है।
- हुंडरू जलप्रपात: स्वर्णरेखा नदी पर स्थित यह झरना राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। इसकी ऊंचाई लगभग 98 मीटर है, और यह राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
- जोन्हा जलप्रपात: इसे “गौतमधारा” भी कहा जाता है। यहां गौतम बुद्ध से जुड़ी मान्यताएं हैं, जो इसे धार्मिक महत्व देती हैं।
- पंचघाघ जलप्रपात: यह खूंटी जिले में स्थित है और पांच धाराओं में गिरने के कारण इसे यह नाम मिला है।
3. नदियों और झरनों का महत्व
झारखंड की नदियां और झरने न केवल यहां की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि राज्य के लोगों के लिए कई तरह से उपयोगी भी हैं। नदियां सिंचाई, पीने के पानी और जल विद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं। वहीं, झरने पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।
4. पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण
झारखंड के झरने और नदियां पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इनके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है ताकि प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता बनी रहे।
झारखंड के नदी और झरने न केवल इसकी प्राकृतिक पहचान हैं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर भी हैं। इनकी देखभाल और संरक्षण करना हम सबकी जिम्मेदारी है।