सविनय अवज्ञा आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को दांडी मार्च से की। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजी शासन के अन्यायपूर्ण कानूनों का शांतिपूर्ण और अहिंसात्मक तरीके से विरोध करना था। गांधीजी ने नमक कानून को चुनौती देकर इसे शुरू किया, जिसके तहत भारतीयों को अपने देश में नमक बनाने या इकट्ठा करने का अधिकार नहीं था।

दांडी मार्च के दौरान गांधीजी और उनके अनुयायियों ने साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात) तक 240 मील की पदयात्रा की और समुद्र किनारे नमक बनाकर कानून तोड़ा। इसके बाद पूरे देश में इस आंदोलन ने जोर पकड़ लिया, और लाखों भारतीयों ने टैक्स का भुगतान न करने, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और अंग्रेजी शासन के अन्य नियमों का पालन न करने जैसे कार्यों में भाग लिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन ने भारतीय समाज के सभी वर्गों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा और अंग्रेजी शासन को यह एहसास कराया कि भारतीय जनता अब अन्याय के खिलाफ खड़ी हो चुकी है। यद्यपि यह आंदोलन 1934 में समाप्त हुआ, लेकिन इसने स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीयों के मन में आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान की भावना जगाई।