Savitribai Phule : सावित्रीबाई फुले (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति महात्मा ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं और दलितों के लिए शिक्षा और सामाजिक समानता के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। उनका जीवन संघर्ष और सामाजिक बदलाव की प्रेरणा है।

सावित्रीबाई फुले कि प्रारंभिक जीवन
सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। उनके पिता का नाम खंडोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। उनका विवाह 9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से हुआ, जो उस समय 13 वर्ष के थे।
यह सारणी उनके जीवन और कार्यों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है।
विषय | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | सावित्रीबाई खंडोजी नेवसे फुले |
जन्म | 3 जनवरी 1831, नायगांव, सतारा, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 10 मार्च 1897, पुणे, महाराष्ट्र |
पति | महात्मा ज्योतिराव फुले |
कार्य | शिक्षिका, समाज सुधारक, कवयित्री |
महत्वपूर्ण उपलब्धियां | भारत की पहली महिला शिक्षिका |
पहली शाला की स्थापना | 1848, लड़कियों के लिए पहली शाला पुणे में |
सामाजिक सुधार कार्य | – अस्पृश्यता का विरोध – बाल विवाह का विरोध – विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन – महिलाओं और दलितों के लिए शिक्षा |
संस्थाएं | सत्यशोधक समाज |
काव्य रचनाएं | “काव्यफुले”, “बावनकशी सुबोध रत्नाकर” |
प्रेरणा स्रोत | महिलाओं और दलितों के अधिकारों और शिक्षा के लिए संघर्ष |
अंतिम योगदान | 1897 में प्लेग महामारी के दौरान रोगियों की सेवा में जीवन समर्पित |
उपाधि | “भारतीय नारी आंदोलन की जननी” |
सावित्रीबाई फुले कि शिक्षा (Savitribai Phule Education)
सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव के मार्गदर्शन में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने खुद को शिक्षित कर महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। सावित्रीबाई आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं।
समाज सुधार कार्य
- पहली बालिका विद्यालय की स्थापना: 1848 में, सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले ने पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला।
- अस्पृश्यता का विरोध: उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए काम किया और उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था की।
- बाल विवाह का विरोध और विधवा पुनर्विवाह: उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया और विधवाओं के पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया।
- सत्यशोधक समाज: सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने “सत्यशोधक समाज” की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जाति और लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करना था।
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साहित्यिक योगदान
सावित्रीबाई एक प्रखर कवयित्री थीं। उनकी कविताओं में महिलाओं की शिक्षा, आत्मसम्मान और समाज सुधार का संदेश मिलता है। उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं:
- काव्यफुले
- बावनकशी सुबोध रत्नाकर
अंतिम समय
1897 में पुणे में प्लेग महामारी के दौरान सावित्रीबाई ने मरीजों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया। एक संक्रमित मरीज की मदद करते हुए वे खुद प्लेग से संक्रमित हो गईं। 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया।
सावित्रीबाई फुले कि विरासत
सावित्रीबाई फुले ने भारतीय समाज में महिलाओं और दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए जो कार्य किया, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन शिक्षा, समानता और सामाजिक सुधार का प्रतीक है। भारतीय समाज में उनका योगदान अमूल्य है और उन्हें “भारतीय नारी आंदोलन की जननी” कहा जाता है।
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सावित्रीबाई फुले जयंती (savitribai phule jayanti)
सावित्रीबाई फुले जयंती हर साल 3 जनवरी को मनाई जाती है। यह दिन भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
महत्व:
- महिला शिक्षा का प्रतीक: यह दिन महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण में सावित्रीबाई फुले के योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
- सामाजिक समानता का संदेश: सावित्रीबाई फुले ने जातिवाद, बाल विवाह, और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ काम किया। उनकी जयंती सामाजिक समानता और अधिकारों की जागरूकता को बढ़ावा देती है।
- प्रेरणा दिवस: यह दिन महिलाओं और वंचित वर्गों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
कैसे मनाया जाता है:
- शिक्षा संस्थानों में कार्यक्रम: स्कूल, कॉलेज, और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में सावित्रीबाई फुले के जीवन और योगदान पर चर्चा होती है।
- रैलियां और संगोष्ठियां: समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण के विषय पर रैलियां और संगोष्ठियां आयोजित की जाती हैं।
- सम्मान और पुरस्कार: इस दिन महिला शिक्षा और सामाजिक कार्य में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित किया जाता है।
- साहित्यिक आयोजन: उनकी कविताओं और लेखों का वाचन किया जाता है।
सावित्रीबाई फुले का संदेश
उनकी जयंती हमें यह याद दिलाती है कि शिक्षा और समानता एक समृद्ध और उन्नत समाज की नींव है। उनका जीवन आज भी समाज सुधार और महिलाओं की प्रगति के लिए प्रेरणा है।
उद्धरण:
“अगर महिलाएं शिक्षित होती हैं, तो समाज शिक्षित होगा।” – सावित्रीबाई फुले
आप इस दिन को उनके विचारों का प्रचार कर और समाज में सकारात्मक बदलाव लाकर मना सकते हैं।
सावित्रीबाई फुले से संबंधित प्रश्न और उत्तर (Q&A) दिए गए हैं:
Q1: सावित्रीबाई फुले कौन थीं?
A: सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और कवयित्री थीं। उन्होंने महिलाओं और दलितों के अधिकारों और शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
Q2: सावित्रीबाई फुले का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
A: उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था।
Q3: सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के क्षेत्र में क्या योगदान दिया?
A: उन्होंने 1848 में भारत का पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया और महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाए।
Q4: उन्होंने किस सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ काम किया?
A:
- बाल विवाह का विरोध
- विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन
- अस्पृश्यता और जातिवाद का विरोध
Q5: सावित्रीबाई फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना क्यों की?
A: सत्यशोधक समाज की स्थापना उनके पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर की गई थी। इसका उद्देश्य जातिवाद, लैंगिक भेदभाव और अन्य सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करना था।
Q6: सावित्रीबाई फुले ने कौन-कौन सी पुस्तकें लिखीं?
A: उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:
- काव्यफुले
- बावनकशी सुबोध रत्नाकर
Q7: सावित्रीबाई फुले का निधन कब और कैसे हुआ?
A: उनका निधन 10 मार्च 1897 को पुणे में प्लेग महामारी के दौरान हुआ। वे रोगियों की सेवा करते हुए प्लेग से संक्रमित हो गई थीं।
Q8: सावित्रीबाई फुले जयंती कब मनाई जाती है?
A: सावित्रीबाई फुले जयंती हर साल 3 जनवरी को मनाई जाती है।
Q9: सावित्रीबाई फुले को “भारतीय नारी आंदोलन की जननी” क्यों कहा जाता है?
A: उन्हें यह उपाधि महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने के कारण दी गई।
Q10: सावित्रीबाई फुले का प्रमुख संदेश क्या था?
A: उनका संदेश था:
“अगर महिलाएं शिक्षित होंगी, तो पूरा समाज शिक्षित होगा।“
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