सिकंदर, जिसे सिकंदर महान के नाम से भी जाना जाता है, इतिहास के सबसे प्रभावशाली और महान योद्धाओं में से एक है। उसका जन्म 356 ईसा पूर्व मकदूनिया में हुआ था। उसके पिता राजा फिलिप द्वितीय और माता ओलंपियास थीं। सिकंदर ने अपनी शिक्षा महान दार्शनिक अरस्तू के मार्गदर्शन में प्राप्त की, जिसने उसमें ज्ञान, तर्क और सैन्य कौशल का विकास किया। बचपन से ही उसमें नेतृत्व और विजय की अद्भुत क्षमता थी।
सिकंदर ने मात्र 20 वर्ष की उम्र में मकदूनिया का राजा बनने के बाद अपने सैन्य अभियानों की शुरुआत की। उसने सबसे पहले यूनान को संगठित किया और फिर फारस साम्राज्य पर आक्रमण किया। उसकी विजयों की श्रृंखला इतनी तेज थी कि वह कुछ ही वर्षों में पूरे फारसी साम्राज्य को जीतने में सफल रहा। ईरान, मिस्र, मेसोपोटामिया और भारत के कुछ हिस्से उसकी विजय यात्रा के गवाह बने।

भारत में, सिकंदर ने 326 ईसा पूर्व झेलम नदी के तट पर राजा पोरस के साथ युद्ध लड़ा। हालांकि यह युद्ध भीषण था, लेकिन सिकंदर ने अपनी रणनीति और साहस से विजय प्राप्त की। इस युद्ध के दौरान उसने पोरस के साहस और वीरता का सम्मान करते हुए उसे फिर से उसका राज्य लौटा दिया। यह घटना उसके उदार और न्यायप्रिय स्वभाव का परिचायक है।
हालांकि सिकंदर ने बहुत सारी विजय प्राप्त कीं, लेकिन अपने सैनिकों के विद्रोह और कठिन परिस्थितियों के कारण उसे भारत से लौटना पड़ा। 323 ईसा पूर्व, बेबीलोन में मात्र 32 वर्ष की उम्र में, वह गंभीर बीमारी से निधन हो गया। उसकी असमय मृत्यु ने उसकी साम्राज्य विस्तार योजनाओं को अधूरा छोड़ दिया।
सिकंदर केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक महान नेता और प्रेरणास्त्रोत था। उसकी विजय यात्राएं आज भी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं। उसने अपने साहस, नेतृत्व और विजयी मानसिकता से यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता, यदि उसे दृढ़ निश्चय और मेहनत से प्राप्त करने की कोशिश की जाए।