By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
IndiaFirst
Tuesday, 24 Jun, 2025
  • होम
  • देश
  • दुनिया
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • जूडिशरी
  • बिजनेस
Notification
IndiaFirst
Notification
Search
  • होम
Have an existing account? Sign In
Follow US
© The IndiaFirst. All Rights Reserved.

विनोबा भावे – भूदान आंदोलन के प्रवर्तक।

Last updated: January 11, 2025 10:37 pm
By The IndiaFirst Published January 11, 2025
Share
SHARE

विनोबा भावे एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय समाज में गहरी छाप छोड़ी। वे भूदान आंदोलन के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय किसानों और भूमिहीनों के बीच भूमि वितरण को सुधारना था।

Vinoba Bhave

विनोबा भावे का जीवन परिचय:

विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के शिरवली गांव में हुआ था। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे और गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित थे। विनोबा भावे ने बहुत ही सरल और संयमित जीवन जीने का संकल्प लिया था।

भूदान आंदोलन की शुरुआत:

भूदान आंदोलन की शुरुआत 1951 में हुई थी, जब विनोबा भावे ने बीहड़ और पिछड़े इलाके, जैसे बिहार के पटना जिले के एक गांव, में पहली बार किसानों से अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा दान करने की अपील की। उन्होंने यह आंदोलन महात्मा गांधी के ‘नकद भूमि सुधार’ के सिद्धांत के आधार पर शुरू किया था। उनका उद्देश्य था कि देश में हर गरीब को भूमि मिले, ताकि वह अपनी आजीविका चला सके और गरीबी दूर हो सके।

विनोबा भावे ने अपने आंदोलन के दौरान किसानों से बिना किसी दबाव के अपनी जमीन का कुछ हिस्सा दान करने की अपील की। उनका यह विचार था कि यदि हर व्यक्ति अपने पास की अधिक भूमि का कुछ हिस्सा दान करेगा, तो इससे गरीबों को भूमि मिल जाएगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

भूदान आंदोलन के प्रमुख पहलू:

  1. साधारण और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण: विनोबा भावे ने भूमि दान के लिए किसी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई की बजाय पूरी तरह से अहिंसा और प्रेम का रास्ता अपनाया। उन्होंने गांधीजी के सिद्धांतों का पालन करते हुए भूदान आंदोलन को फैलाया।
  2. समाज में जागरूकता: विनोबा भावे ने इस आंदोलन के माध्यम से समाज में यह जागरूकता फैलाई कि भूमि का वितरण एक गंभीर सामाजिक समस्या है। उन्होंने यह समझाया कि अगर भूमि का सही तरीके से वितरण किया जाए तो समृद्धि और समानता का रास्ता खुल सकता है।
  3. भूमिहीनों को भूमि का अधिकार: वे मानते थे कि हर व्यक्ति को अपनी आजीविका के लिए भूमि मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने समाज के समृद्ध वर्ग से अपील की कि वे अपनी अतिरिक्त भूमि गरीबों को दान करें।

भूदान आंदोलन का विस्तार:

विनोबा भावे के भूदान आंदोलन ने पूरे भारत में व्यापक ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस आंदोलन को न केवल महाराष्ट्र, बल्कि उत्तर भारत, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश में भी फैलाया। उनके साथ कई प्रमुख लोग जुड़े और यह आंदोलन एक राष्ट्रीय स्तर पर फैल गया।

इसके बावजूद, भूदान आंदोलन की पूरी सफलता नहीं हो पाई, क्योंकि यह स्वेच्छिक था और सरकार की तरफ से कोई बड़ी कानूनी पहल नहीं की गई थी। इस आंदोलन को सरकारी सहयोग का सामना नहीं मिला, जिससे इसका प्रभाव सीमित था।

विनोबा भावे का योगदान:

विनोबा भावे ने न केवल भूदान आंदोलन का नेतृत्व किया, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता, समानता, और अहिंसा के सिद्धांतों को भी बढ़ावा दिया। वे भारतीय जनता के बीच आत्मनिर्भरता, परस्पर सहयोग और प्रेम की भावना फैलाने में सफल रहे। उन्होंने भारतीय समाज में बदलाव लाने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से समर्पित किया।

विनोबा भावे का योगदान भारतीय समाज के लिए अमूल्य है, और वे हमेशा एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किए जाएंगे।

ये भी पढ़ें– पीवी नरसिम्हा राव – भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के जनक।

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जरुर पढ़ें

आईपीएस अधिकारी सीमांत कुमार सिंह बने बैंगलोर के पुलिस कमिश्नर,समाजसेवी कैलाश सिंह ने दी बधाई।

विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरणविद ने वन वृक्षों पर राखियां बंधे।

डॉ॰ कौशल ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष को पौधा भेंट कर किया सम्मान

डॉ कौशल ने भगवान बुद्ध के सम्मान में उनके जन्मस्थली, ज्ञानस्थली, उपदेश स्थल व समाधि स्थल पर किया है पौधरोपण

न्यू प्राथमिक विद्यालय कोकरो में शिक्षक एवं चावल आवंटन की मांग: संजय यादव (शिक्षक)

IndiaFirst

IndiaFirst acknowledges the Traditional Owners and Custodians of Country across India and their relationship to land, water and community. We honour First Nations cultures by giving voice to social justice, acknowledging our shared history and respecting them.

  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Correction Policies
  • Advertise with us
  • English
  • हिन्दी
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?