1 जनवरी को नया साल मनाने का प्रचलन मुख्य रूप से ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर है, जो वर्तमान में दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मानक कैलेंडर के रूप में उपयोग होता है। इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण यह है:
1. ग्रेगोरियन कैलेंडर की स्थापना:
- ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1582 में पोप ग्रेगोरी XIII ने की थी। इस कैलेंडर ने पुरानी जूलियन कैलेंडर की जगह ली, जिसमें खगोलीय गलतियां थीं।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर में साल का पहला दिन 1 जनवरी निर्धारित किया गया, जिसे धीरे-धीरे विभिन्न देशों ने अपनाया।
2. रोमन परंपरा:
- 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा प्राचीन रोम से शुरू हुई। रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की, जिसमें 1 जनवरी को साल का पहला दिन माना गया।
- इस दिन को “जैनस” (Janus) देवता को समर्पित किया गया, जो नए शुरुआत और द्वारों के देवता माने जाते थे।
3. ईसाई परंपरा:
- ईसाई परंपराओं में 1 जनवरी को यीशु मसीह के जन्म के आठवें दिन के रूप में भी देखा जाता है, जब उनका नामकरण संस्कार हुआ था। इसे नए साल की शुरुआत के लिए एक पवित्र दिन माना गया।
4. वैश्विक स्वीकृति:
- समय के साथ, ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग अधिकांश देशों में अंतरराष्ट्रीय मानक के रूप में किया जाने लगा।
- व्यापार, संचार, और आधुनिक समाज में सामंजस्य के लिए सभी ने इसे अपनाया, जिससे 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा वैश्विक बन गई।
हालांकि, कई संस्कृतियों और धर्मों में नए साल का आरंभ अलग-अलग तारीखों को होता है, जैसे कि भारतीय कैलेंडर में चैत्र माह का पहला दिन, चीनी नववर्ष, इस्लामिक हिजरी नववर्ष, और यहूदी नववर्ष। लेकिन 1 जनवरी का नया साल आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दिन है।